mere baad rahat indori book pdf

rahat indori books pdf

Mere Baad Rahat Indori

मेरे बाद राहत इन्दौरी

सारे बादल हैं उसी के, वो अगर चाहे तो




rahat indori books pdf in hindi download

सारे बादल हैं उसी के, वो अगर चाहे तो
मेरे तपते हुए सहरा को समंदर कर दे

धूप और छांव के मालिक मेरे बूढ़े सूरज
मेरे साये को मेरे क़द के बराबर कर दे

तेरे हाथों में है तलवार, मेरे लब पे दुआ
सूरमा आ मुझे मैदान के बाहर कर दे

इम्तिहां ज़र्फ़ का हो जाएगा साक़ी लेकिन
पहले हम सब के गिलासों में बराबर कर दे

है नमाज़ी कि शराबी, ये कोई शर्त नहीं
वो जिसे चाहे मुक़द्दर का सिकन्दर कर दे

गांव की बेटी की इज़्ज़त तो बचा लूं लेकिन
मुझे मुखिया न कहीं गांव के बाहर कर दे

rahat indori books list

मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया

मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया
एक पागल ने बहुत लोगों को पागल कर दिया

अपनी पलकों पर सजा कर मेरे आँसू आप ने
रास्ते की धूल को आँखों का काजल कर दिया

मैं ने दिल दे कर उसे की थी वफ़ा की इब्तिदा
उस ने धोका दे के ये क़िस्सा मुकम्मल कर दिया

ये हवाएँ कब निगाहें फेर लें किस को ख़बर
शोहरतों का तख़्त जब टूटा तो पैदल कर दिया

देवताओं और ख़ुदाओं की लगाई आग ने
देखते ही देखते बस्ती को जंगल कर दिया

ज़ख़्म की सूरत नज़र आते हैं चेहरों के नुक़ूश
हम ने आईनों को तहज़ीबों का मक़्तल कर दिया

शहर में चर्चा है आख़िर ऐसी लड़की कौन है

जिस ने अच्छे-ख़ासे इक शायर को पागल कर दिया

rahat indori books in hindi

समन्दरों में मुआफिक हवा चलाता है

समन्दरों में मुआफिक हवा चलाता है
जहाज़ खुद नहीं चलते खुदा चलाता है

ये जा के मील के पत्थर पे कोई लिख आये
वो हम नहीं हैं, जिन्हें रास्ता चलाता है

वो पाँच वक़्त नज़र आता है नमाजों में
मगर सुना है कि शब को जुआ चलाता है

ये लोग पांव नहीं जेहन से अपाहिज हैं
उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है

हम अपने बूढे चिरागों पे खूब इतराए
और उसको भूल गए जो हवा चलाता है

दोस्त है तो मेरा कहा भी मान

दोस्त है तो मेरा कहा भी मान
मुझसे शिकवा भी कर, बुरा भी मान

दिल को सबसे बड़ा हरीफ़’ समझ
और इसी संग को खुदा भी मान

मैं कभी सच भी बोल देता हूँ
गाहे गाहे, मेरा कहा भी मान

याद कर, देवताओं के अवतार
हम फ़कीरों का सिलसिला भी मान

rahat indori books in urdu

मेरी तकदीर में है, मेरे हवाले होंगे

मेरी तकदीर में है, मेरे हवाले होंगे।
वक्त के हाथ में गर ज़हर के प्याले होंगे।

मस्ज़िदें होंगी, कलीसा, न शिवाले होंगे।
इतने नज़दीक तेरे चाहने वाले होंगे।

जिन चरागों से ताअससुब का धुआँ उठता हो,
उन चरागों को बुझा दो तो उजाले होंगे।

मैं अगर वक्त का सुकरात भी बन जाऊँ तो क्या,
मेरे हिस्से में वही ज़हर के प्याले होंगे

rahat indori books pdf in urdu

सुलगते सारे छप्पर लग रहे है

सुलगते सारे छप्पर लग रहे है
कवेलू मकबरों पर लग रहे है

बबूल आँगन मैं बोया जा रहा है
पहाड़ों पर सनोबर लग रहे है

मगर अन्दर कोई सहरा छुपा है
बजाहिर हम समंदर लग रहे हैं

जहालत को सनद बख्शी गयी है
सितारे पत्थरों पर लग रहे हैं

बहुत रंगीन तबियत हैं परिंदे
दरख्तों पर कैलेंडर लग रहे है

उकाब उन मैं कोई होगा तो होगा
हमें तो सब कबूतर लग रहे हैं

यहाँ दरिया पे पाबंदी नहीं है
मगर पहरे लबों पर लग रहे हैं

खुदा से काम कोई आ पड़ा है
बहुत मस्जिद के चक्कर लग रहे है

सारी फ़ितरत तो नकाबों में छिपा रक्खी थी

सारी फ़ितरत तो नकाबों में छिपा रक्खी थी
सिर्फ तस्वीर उजालों में लगा रक्खी थी

हम दिया रख के चले आए हैं देखें क्या हो
उस दरीचे पे तो पहले से हवा रक्खी थी

मेरी गरदन पे थी तलवार मेरे दुश्मन की
मेरे बाजू पर मेरी माँ की दुआ रक्खी थी

शहर में रात मेरा ताज़ियती जलसा था
सब नमाज़ी थे मगर सबने लगा रक्खी थी

मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया



rahat indori books name

मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया
एक पागल ने बहुत लोगों को पागल कर दिया

अपनी पलकों पर सजा कर मेरे आँसू आप ने
रास्ते की धूल को आँखों का काजल कर दिया

मैं ने दिल दे कर उसे की थी वफ़ा की इब्तिदा
उस ने धोका दे के ये क़िस्सा मुकम्मल कर दिया

ये हवाएँ कब निगाहें फेर लें किस को ख़बर
शोहरतों का तख़्त जब टूटा तो पैदल कर दिया

देवताओं और ख़ुदाओं की लगाई आग ने
देखते ही देखते बस्ती को जंगल कर दिया

ज़ख़्म की सूरत नज़र आते हैं चेहरों के नुक़ूश
हम ने आईनों को तहज़ीबों का मक़्तल कर दिया

शहर में चर्चा है आख़िर ऐसी लड़की कौन है
जिस ने अच्छे-ख़ासे इक शायर को पागल कर दिया

दोस्ती जब किसी से की जाए

दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए

मौत का ज़हर है फ़ज़ाओं में
अब कहाँ जा के साँस ली जाए

बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ
ये नदी कैसे पार की जाए

अगले वक़्तों के ज़ख़्म भरने लगे
आज फिर कोई भूल की जाए

लफ़्ज़ धरती पे सर पटकते हैं
गुम्बदों में सदा न दी जाए

कह दो इस अहद के बुज़ुर्गों से
ज़िंदगी की दुआ न दी जाए

बोतलें खोल के तो पी बरसों
आज दिल खोल कर ही पी जाए

दोस्त है…तो मेरा कहा भी मान

दोस्त है… तो मेरा कहा भी मान
मुझसे शिकवा भी कर, बुरा भी मान

दिल को सबसे बड़ा हरीफ़ समझ
और इसी संग को खुदा भी मान

मैं कभी सच भी बोल देता हूँ
गाहे गाहे, मेरा कहा भी मान

याद कर, देवताओं के अवतार
हम फ़कीरों का सिलसिला भी मान

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समंदर पार होती जा रही है

समंदर पार होती जा रही है
दुआ पतवार होती जा रही है

कई दिन से मेरे अंदर की मस्जिद
खुदा-बेजार होती जा रही है

मसाइल, जँग, खुशबू, रँग, मौसम,
ग़ज़ल, अखबार होती जा रही है

कटी जाती हैं साँसों की पतंगें,
हवा तलवार होती जा रही है

गले कुछ दोस्त आकर मिल रहे हैं,
छुरी पर धार होती जा रही है

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